गणेश वंदन
=========
गौरिसुत गणराज गजानंद रोली अक्षत और ले चन्दन
लम्बोदर हो तुम इक दन्ता
विघ्न हरो हे विघ्नहरन्ता विनती तुमसे शंकर नंदन
करते हैं हम तेरा वंदन ................
नित नित गायें तेरी गाथा
मूषक वाहन तुम्हें सुहाता
रूप अनोखा सदा लुभाता
स्वीकारो मेरा अभिनंदन
करते हैं हम तेरा वंदन .............
ज्ञान श्रेष्ठी तुम बुद्धि दाता
तुम ही रिद्धि सिद्धि दाता
दुःख हरो हे भव भय भंजन
=========
गौरिसुत गणराज गजानंद रोली अक्षत और ले चन्दन
करते हैं हम तेरा वंदन
लम्बोदर हो तुम इक दन्ता
करते हैं हम तेरा वंदन ................
नित नित गायें तेरी गाथा
तव चरणों में नवायें माथा |
सेवक का ये अनुनय अर्चन
मोदक भोग तुम्हे है भाता भक्तों का तुमसे है नाता
पावन भाव भरा अभ्यर्थन
सेवक का ये अनुनय अर्चन
करते हैं हम तेरा वंदन ..............
मोदक भोग तुम्हे है भाता भक्तों का तुमसे है नाता
पावन भाव भरा अभ्यर्थन
करते हैं हम तेरा वंदन ....................
मूषक वाहन तुम्हें सुहाता
रूप अनोखा सदा लुभाता
स्वीकारो मेरा अभिनंदन
करते हैं हम तेरा वंदन .............
ज्ञान श्रेष्ठी तुम बुद्धि दाता
दुःख हरो हे भव भय भंजन
करते हैं हम तेरा वंदन .............
प्रमिला आर्य
No comments:
Post a Comment