Saturday, 11 May 2013

देश के सिपाही हथेली
पे जान रखते हैं
भारती की आन बान 
शान को बढ़ाते हैं ॥

खिल के डाल डाल पर
चमन को महकाते है
फूल मुरझा कर अपनी
खुशबू छोड़ जाते हें ॥

सामना कर शत्रुओं का
धर्म को  निभाते हें
सीने पे खाते हैं गोली
पीठ ना दिखाते हैं ॥

शूरवीर कर्मवीर
धर्म वीर होते हैं
शीश भेंट करतेअपने
शीश ना झुकाते हैं ॥

तेरी शहादत जमाना
भूल नहीं पायेगा
माँ  के वीर लाडले
पदचिह्न छोड़ जाते हैं ॥
प्रमिला आर्य

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