Pramila Arya
Saturday, 8 December 2012
सवैया
चौंच मड़ावत स्वर्ण चहे हर पाख जड़ाय जवाहर नीका
पाँव मणी पहरावत हों अरु भालन चन्दन राजत टीका
पींजर स्वर्ण पठावत हों मधु से पकवान खिलावन घी का
खूब सजावन कागन को पर बोलत है कटु बैनन तीखा
प्रमिला आर्य
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