Saturday, 8 December 2012

आहत मन

पिता  का साया
सिर पर नहीं
बीमार माँ
उपचार के लिए
धन नहीं
अपनी बदनसीबी पर
आंसू बहाती
तिस पर .............

लोगों की तीक्ष्ण
टीका टिप्पणियां 
व्यंग्य और तानों से 
आहत अंतर्मन 
चीत्कार कर उठता था 
तब फिर  .........
कर लिया संकल्प 
कुछ कर दिखाने का 
लोगों के मुँह पर 
ताले लगाने का 
हो कृत संकल्प 
चल दी नई राह पर 
खुद को संवारने 
जिंदगी निखारने ।।।
प्रमिला आर्य 











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