सिर पर नहीं
बीमार माँ
उपचार के लिए
धन नहीं
अपनी बदनसीबी पर
आंसू बहाती
तिस पर .............
लोगों की तीक्ष्ण
टीका टिप्पणियां
टीका टिप्पणियां
व्यंग्य और तानों से
आहत अंतर्मन
चीत्कार कर उठता था
तब फिर .........
कर लिया संकल्प
कुछ कर दिखाने का
लोगों के मुँह पर
ताले लगाने का
हो कृत संकल्प
चल दी नई राह पर
खुद को संवारने
जिंदगी निखारने ।।।
प्रमिला आर्य
प्रमिला आर्य
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