बावरा मना क्यूँ है व्याकुल बीते दिन को याद करके
भूल जा अब उस विगत को आज का सम्मान करके
कंटकों से जूझ कर चलना भला आता जिसे हो
राह की कठिनाई से लड़ना भला भाता जिसे हो
फूल को पाना जिसे हो शूल चुनता उस डगर के
भूल जा तो उस विगत को ..,...........................
अंधेर काली रात का तम घना छाया हुआ है
चाँद को डसने यहाँ पर राहू मंडराया हुआ है
भोर का उजियारा होगा रात का चल माँ करके
भूल जा तू उस विगत को ..........................
खुद पे ही करके भरोसा सिंह सा तू चल अकेला
भाग्य भी होता उन्ही का जो सतत चलता चलेगा
बड़ चलेगा तू भी एक दिन सपनों को साकार करके
भूल जा तू उस विगत को ..............................
प्रमिला आर्य
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