हाइकु , तांका ------
खिला काँटों में
महकाता चमन
लगता प्यारा
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आँख से आंसू
गिरने ना दें कभी
हैं अनमोल
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आँख से आंसू
गिर कर कहते
मन की व्यथा
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बंसी अधर
चंचल चितवन
राधा के संग
रास रचाए कान्हा
यमुना तट पर
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बंसी अधर
चंचल चितवन
राधा के संग
रास रचाए कान्हा
यमुना तट पर
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मनमोहना
चंचल चपल तू
लगता प्यारा
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आँख का तारा
लूं मैं तेरी बलैयां
तू मेरा चंदा
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शैतानी तेरी
लागे मनोहारी
ख़ुशी तू मेरी
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मनमोहना
चंचल चपल तू
लगता प्यारा
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ऑ री पवन
ले जा मेरा संदेस
जहाँ सजन
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दर्द दे दिया
अपना बना कर
जलता जिया
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सजन तुम
भूल गए जाकर
व्याकुल हम
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नहीं है चैन
आ जाओ ना सजन
हम बेचैन
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रूठे बलम
की प्रतीक्षा कितनी
आए ना तुम
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