बाधाओं से बाधित होकर बीच भंवर में रुकता क्यूँ
तपन तपित श्रम श्रमितथकित पग अलसाने जब बैठेंगे शीतल सुखद सुहाने मनहर तरुवर श्रम हर लेगें यूं
ज़िन्दगी जी रहे हैं यही क्या कम है
हँसते मुस्कुराते हैं चाहे हज़ार गम हैं
शूल ही शूल बिखरे हों राह में जिनके
फूंक फूंक कर वो रखते हर कदम हैं -
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जिसके दिल में बसा हो प्यार
उसे कौन ना करेगा प्यार
है अंदाज़-ए-बयां लाजवाब
बरसती रहे हंसी की फुहार =================
बैगानों से भरा है यह जहाँ
साथ कब कोई देता है यहाँ
कहने को तो कह देते सभी
वक्त पड़े मुंह मोड़ लेते यहाँ l
प्रमिला आर्य