Saturday, 2 March 2013

खिले गुलाब 
बगिया का श्रृंगार 
छाये बहार 

व्यथित व्योम
अवनि विरह में
होता व्याकुल
प्रमिला आर्य
सैनिक ----------
निभाता धर्मं
मातृभूमि रक्षार्थ
तजता स्वार्थ
प्रमिला आर्य  


ड़ाल ड़ाल पे
नवपल्लव फूटे
धरा मुस्काये
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