Saturday, 2 March 2013

खा कर पछाड़ गिरती भू पर माता का हृदय तड़पता

खा कर पछाड़ गिरती भू पर
माता का हृदय तड़पता है
हाथों में रक्षा सूत्र लिए
बहना का प्यार बिलखता है
बांध तोड़ अश्रु झरते हैं
सजनी सिन्दूर सिसकता है
मासूमों की किलकारी का
बचपन अनजान सुबकता है
देखा कर हैवानियत हैवानों की
पत्थर का दिल भी रोता है
प्रमिला आर्य

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