खा कर पछाड़ गिरती भू पर
माता का हृदय तड़पता है
हाथों में रक्षा सूत्र लिए
बहना का प्यार बिलखता है
बांध तोड़ अश्रु झरते हैं
सजनी सिन्दूर सिसकता है
मासूमों की किलकारी का
बचपन अनजान सुबकता है
देखा कर हैवानियत हैवानों की
पत्थर का दिल भी रोता है
प्रमिला आर्य
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