Saturday, 2 March 2013

मैं हूँ पवन ---------
सन सन सन सन पवन बहे ।
गुन गुन गुन गुन यों बोले ।।

पञ्च तत्व में मैं ही समाहित
पञ्च वायु बिन जीव अपाहिज
जग सारा मुझ से गतिशील
तेरा मन भी मुझ सा डोले ।।
सन सन सन सन पवन बहे
गुन गुन गुन गुन यों बोले ।।

सर्व व्यापी पर हूँ निराकार
प्राण मैं ही जीवन आधार
श्रमित जनों का श्रम मैं हर कर
हुलसाती हूँ होले होले ।।
सन सन सन सन पवन बहे
गुन गुन गुन गुन यों बोले ।।

रौद्र रूप धर करती गर्जन
देता है तब ताल प्रभंजन
जगतीतल करता है नर्तन
चिंनगारी बनती है शोले ।
सन सन सन सन पवन बहे
गुन गुन गुन गुन यों बोले

प्रमिला आर्य

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