Pramila Arya
Sunday, 3 March 2013
सावन सूखा
आस लगाये बैठा
किसान रोया
प्रमिला आर्य
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गरजे मेघ
डरे मेरा जियरा
पी नहीं पास
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बाधाओं से तू
क्यों होता विचलित
रख हौंसला
प्रमिला आर्य
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