Tuesday, 31 July 2012

माँ का अंगना ----

माँ का अंगना ----
ऐ मेरी बुलबुल सौनचिरैया 
चहक चहक क्यूँ करती री व्याकुल saun
ऐ मेरी बुलबुल सौनचिरैया 
ऐ मेरी बुलबुल बात कहूँ इक
मानेगी ना ,ना मत कहना
तू जा मेरी माँ के अंगना
खूब चहकना खूब फुदकना
चहक फुदक कर तू ये कहना
मैं बिटिया की बतियाँ मैया
ऐ मेरी बुलबुल सौनचिरैया
सावन का है आया महिना
याद आया माता का अंगना
डाल  हिंडोले झूले  झूलूं
सखियों के संग गाऊँ झूमूँ
ऐ मेरी बुलबुल जाकर कहना
क्यों ना बुलाई बिटिया को मैया
ऐ मेरी बुलबुल सौनचिरैया
दूर देस में वास है माँ का
शीश हाथ है आज भी माँ का
फलती हैं आशीषें अब भी
ले आना री उसका संदेसा
मैं  तकती  तेरी बाट बटैया
ऐ मेरी बुलबुल सोन चिरैया
प्रमिला आर्य





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