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सघन विटप तुम हो हितकारी,
उपकार अनेकों करते हो
सघन विटप तुम हो हितकारी,
उपकार अनेकों करते हो
अटल अविचल सीना ताने,
संताप सकल तुम हरते हो
संताप सकल तुम हरते हो
रवि तपन से आकुल व्याकुल
थकित पथिक विश्राम को आए
शीतल सुखद पवन झोकों से
थकन -तपन हर लेते हो
उल्लास हृदय में भरते हो
संताप सकल ........
कलरव करते पर फैलाए
शाखाओं पे पाखी आते
आश्रय पा कर शाखाओं का
नीड़ बना वे सुख पाते
आल्हादित तुम करते हो
संताप सकल .................
धरती की शोभा तुम से ही
जीवों का जीवन तुम से ही
प्राण वायु औषधियां देकर
रोग मुक्त कर देते हो
नव जीवन तुम देते हो
संताप सकल ..............
आतप पावस शीतलता से
तनिक नहीं तुम विचलित होते
हो तपस्वी तुम तो तरूवर
कष्ट अनेकों हँस कर सहते
समभाव सदा ही रहते हो
संताप सकल तुम हरते हो
आतप पावस शीतलता से
तनिक नहीं तुम विचलित होते
हो तपस्वी तुम तो तरूवर
कष्ट अनेकों हँस कर सहते
समभाव सदा ही रहते हो
संताप सकल तुम हरते हो
प्रमिला आर्य
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