Tuesday, 31 July 2012

पार नदी के जाना हैं -------------

बैठ गए हैं नैया में हम पार नदी के जाना हैं 
दिल में ले के आस कि हमको तटबंधों को पाना है 

उठ उठ लहरें मचल रही हैं नैया डगमग डोल रही है 
हो ना विचलित तू मेरे माझी तुझे किनारा पाना है 
पार नदी के जाना है .................................

झंझाओं ने झकझोरा है तूफानों ने आ घेरा है 
धीरज खोना ना मेरे माझी तुझे किनारा पाना है 
पार नदी के जाना है ................................

धाराएँ प्रतिकूल हुई है तेरी दिशाएँ बदल रही है 
धाराओं का रुख तू बदल दे तुझे किनारा पाना है 
पार नदी के जाना है ................................
प्रमिला आर्य 

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