Tuesday, 31 July 2012

मधुर गान --------

मिल जाता जब 
मन मानस को 
सबल सम्बल 
या कर जाती पीर 
प्रबल प्रहार
निसृत होते तब 
हृदयोद्गार 
और 
रच जाता तभी 
एक मनोहर गान /
मन वीणा के तार 
सुर ताल लय में 
एक साथ जब 
होते झंकृत 
छिड़ने लगती
तानें और आलाप 
बन जातीं हैं 
राग मधुर ,और 
थिरकने लगता 
मन मयूर 
यूँ ही बार बार 
प्रमिला आर्य 


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