बाबुल तेरी लाडली , याद करे दिन रात
दर्शन देते क्यों नहीं, रूठे हो क्या तात
बगिया फूली देख के, हर्षित होते आप
खुशियों में अब साथ नहिं, मन में ये सन्ताप
बरस बीत गए पांच पर ,लगती कल की बात
नाते तोड़ के चल दिए , लगता है आघात
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