तू ज़रा तो मुस्कुरा ले ................
ग़र तू पाना चाहे मंजिल आशा के तू दीप जला ले
कर्म में विश्वास हो संकल्प
ग़र तू पाना चाहे मंजिल आशा के तू दीप जला ले
छोड़ हताशा दिल से अपने तू ज़रा तो मुस्कुरा ले /
आंधी तूफाँ चाहे आयें
हो ना विचलित तू ज़रा भी
लक्ष्य ग़र तूने हो साधा
लक्ष्य ग़र तूने हो साधा
चलना सिखलाती है बाधा
तू लगन की लौ लागले
तू ज़रा तो ..................
कर्म में विश्वास हो संकल्प
में दृढ़ता रही तो
रोक पाएगा ना तूफाँ
छाये चाहे तिमिर घनेरा
मुशकिलों को गले लगा ले
तू ज़रा तो .................
कार्य कितना भी कठिन हो
मार्ग जितना भी जटिल हो
धैर्य अपना खो ना दे ग़र
सफलता पग चूम लेगी
कर्म की तू अगन जला ले
तू ज़रा तो ...................
पथ में कांटे य कंकर हो
पग में चाहे शूल चुभे हों
पीड़ा का अहसास ना ग़र हो
मंजिल तेरी दूर नहीं है
तू ज़रा तो .................
लहरों से टकराना जाने
धाराएँ जिसे रोक ना पायें
तूफाँ से जो हार ना मानें
तरणि तट को पा जाएगी
हिम्मत की पतवार तू ले ले
तू ज़रा तो ............
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