व्यथा की घनघोर घटाएँ जब मंडराएंगी
घनीभूत हो मन उद्वेलित कर जाएँगी
उमड़ घुमड़ कर उमड़ेंगें जब भाव हृदय में
कोरे कागज़ पर तब गीत उकर कर आएँगे /
प्रमिला आर्य
घनीभूत हो मन उद्वेलित कर जाएँगी
उमड़ घुमड़ कर उमड़ेंगें जब भाव हृदय में
कोरे कागज़ पर तब गीत उकर कर आएँगे /
प्रमिला आर्य
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