यह गीत बचपन की उन स्मृतियों के आधार पर लिखा है
जब मेरी झालरापाटन नगरी में नल नहीं थे और
पानी कुवे से भर कर लाना पड़ता था l जब हमारे घर की कुई पर
मोहल्ले की काकी जी भाभी जी का पानी भरना याद आता है तो
मेरा दिल कुछ यूँ गुनगुनाता है -
पणिहारियाँ ~~~~~~~~~~~~~
माथे ऊपर मेल बेवड़ा रास मूंज की कांधे डाल्याँ
पणिहारियाँ ये पाणी चाली पनघट पे ये पाणी चाली रे
तड़के तड़के उठी गौरडियां
आंगणियां में बैठी अर वे
लागी चमकावण गागरिया
फाणीड़ो भरबा ने चाली
पणिहारियाँ ये फाणी चाली
लेर गागरिया फाणी चाली रे
माथे रखडी नाकां नथणि
कानां झुमका गले खुगाली
सतरंगी वे औड चुनरिया
फाणीड़ो बरवा ने चाली
पणिहारियाँ ये फाणी चाली
औड चुनरिया फाणी चाली रे
आँख्यां मां काजल भाल पे टिंकी
मेंदी रचाई मान्ग्याँ भरली
कर सोला सिणगार गौरडियां
फाणी ड़ो भरबा ने चाली
पणहारियाँ ये फाणी चाली ll
कर सिणगारियां फाणी चाली रे
हाथां मां चुडला खनखन खनके
रुणझुन रुनझुन झांझर झनके
मंदी स़ी मुस्कान बखेरियां
फाणी ड़ो भरबा ने चाली
पणहारियां ये फाणी चाली
हंसती हंसाती फाणी चाली रे
सीता गीता सुगना रुकमा
आओ री सखियाँ फाणी चाल्याँ
ले ले गागर सगली सहेलियां
फाणी ड़ो भरबा ने चाली
पणहारियां ये फाणी चाली
हिलमिल सखियाँ फाणी चाली रे
कुवे पाल पे मेल बेवड़ा
बाताँ वे बतियावण लागी
सुख दुःख सगला बाटण लागी
फाणी ड़ो भरबा ने चाली
पणिहारियां ये फाणी चाली
बाताँ करती फाणी चाली रे
माथे ऊपर मेल बेवड़ा ...............
- प्रमिला आर्य
जब मेरी झालरापाटन नगरी में नल नहीं थे और
पानी कुवे से भर कर लाना पड़ता था l जब हमारे घर की कुई पर
मोहल्ले की काकी जी भाभी जी का पानी भरना याद आता है तो
मेरा दिल कुछ यूँ गुनगुनाता है -
पणिहारियाँ ~~~~~~~~~~~~~
माथे ऊपर मेल बेवड़ा रास मूंज की कांधे डाल्याँ
पणिहारियाँ ये पाणी चाली पनघट पे ये पाणी चाली रे
तड़के तड़के उठी गौरडियां
आंगणियां में बैठी अर वे
लागी चमकावण गागरिया
फाणीड़ो भरबा ने चाली
पणिहारियाँ ये फाणी चाली
लेर गागरिया फाणी चाली रे
माथे रखडी नाकां नथणि
कानां झुमका गले खुगाली
सतरंगी वे औड चुनरिया
फाणीड़ो बरवा ने चाली
पणिहारियाँ ये फाणी चाली
औड चुनरिया फाणी चाली रे
आँख्यां मां काजल भाल पे टिंकी
मेंदी रचाई मान्ग्याँ भरली
कर सोला सिणगार गौरडियां
फाणी ड़ो भरबा ने चाली
पणहारियाँ ये फाणी चाली ll
कर सिणगारियां फाणी चाली रे
हाथां मां चुडला खनखन खनके
रुणझुन रुनझुन झांझर झनके
मंदी स़ी मुस्कान बखेरियां
फाणी ड़ो भरबा ने चाली
पणहारियां ये फाणी चाली
हंसती हंसाती फाणी चाली रे
सीता गीता सुगना रुकमा
आओ री सखियाँ फाणी चाल्याँ
ले ले गागर सगली सहेलियां
फाणी ड़ो भरबा ने चाली
पणहारियां ये फाणी चाली
हिलमिल सखियाँ फाणी चाली रे
कुवे पाल पे मेल बेवड़ा
बाताँ वे बतियावण लागी
सुख दुःख सगला बाटण लागी
फाणी ड़ो भरबा ने चाली
पणिहारियां ये फाणी चाली
बाताँ करती फाणी चाली रे
माथे ऊपर मेल बेवड़ा ...............
- प्रमिला आर्य
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